बुधवार, 23 अप्रैल 2014

कुंवर रवीन्द्र : सामाजिक दायित्त्वबोध से उत्पन्न कला-चेतना



कुंवर रवीन्द्र : सामाजिक दायित्त्वबोध से उत्पन्न कला-चेतनाकुंवर रवीन्द्र : सामाजिक दायित्त्वबोध से उत्पन्न कला-चेतना - डॉ. पुखराज जांगिड़



    15 जून 1959 को मध्यप्रदेश के रीवा में जन्मे कुंवर रवीन्द्र का प्रारम्भिक जीवन छतीसगढ़ के ठेठ ग्रामीण इलाकों में बीता, बाद में वे लम्बे समय तक जीवन भोपाल में सृजनरत रहे पर कला-जगत में उनका पहला बड़ा हस्तक्षेप सन् 1979 की उनकी रायपुर (छत्तीसगढ) चित्र-प्रदर्शनी से ही होता है, जिसमें हम जड़ों से जुड़े रहने के निहितार्थों से भी वाकिफ होते हैं। सन् 1993 में भोपाल के हिन्दी भवन में आयोजित दंगा और दंगे के बाद शीर्षक चित्र-प्रदर्शनी समकालीन कला-जगत में उनका दूसरा बड़ा हस्तक्षेप थी, जिसमें उस समय की स्थितियों का यथार्थ चित्रण मिलता है, अपने पूरे खुरदरेपन और व्यक्ति-मन की कई-कई परतों को छिलती-उधेड़ती परिस्थितियां और उन सबके बीच रोशनी की मद्धम- थाह भी। सन् 1975-76 से उनकी यह सृजनधर्मा कला-यात्रा अनवरत जारी है।

कवि-चित्रकार कुंवर रवींद्र की कलाचेतना गहरे सामाजिक दायित्त्वबोध से विकसित हुई है, जिसका लक्ष्य मनुष्यता की तलाश है। प्रकृति और जीवन के रागात्मक संबंध इसे सहज, स्वाभाविक और उद्देश्यपूर्ण बनाते हैं। इसीलिए उनमें हमारे समय की अनुगूंज मिलती है। मनुष्यता को बचाए और बनाए रखने की सायास कोशिश। उनकी कृतियों में मौजूद कलाओँ के अंतर्गुम्फन और अर्थबहुलताएं प्रायः विरोधी धाराओं के मध्य तमाम असम्भावनाओं के बावजूद प्रेम के लिए सम्भावनाएं तलाश लेती हैं।

कला के विविधआयामी बिंबों और प्रतीकों के साथ-साथ अस्मिता और अस्तित्त्व के लिए संघर्षरत हाशिए की अस्मिताओं के जीवन से भरे बिंब भी उनकी कृतियों में खूब मिलते हैं। स्त्री और प्रकृति या प्रकृतिजीविता उनके सृजन के मूल में है, वही उनकी कृतियों का वितान रचती हैं। उनकी रचनाएँ हमें न केवल सपने देखना सिखाती है बल्कि उनके लिए संघर्षरत भी बनाती है। ऐसे समय में जब पूरा देश एक फासीवादी की अगवानी में जुटा है, कुंवर रवीन्द्र की दंगा और दंगे के बाद की कृतियों को याद किया जाना निहायत ही जरूरी हो जाता है।
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मूक आवाज़ हिंदी जर्नल
अंक-5                                                                       ISSN   2320 – 835X                           
Website: https://sites-google-com/site/mookaawazhindijournal/

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